सेंट्रल विस्टा: संस्कृति, परंपरा और प्रतीकों का प्रतिबिंब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 28 मई 2023 को भारत के नये संसद भवन का रविवार को उद्घाटन किए जाने के बाद भारत के लिए यह तरीख इतिहास में दर्ज हो गई. भव्य और अत्याधुनिक संसद भवन भारत की उभरती आकांक्षाओं और जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. राजधानी दिल्ली से ब्रिटिश राज की इमारतों में आमूल-चूल परिवर्तन के सिलसिले में अब ब्रिटिश राज के बनवाए संसद भवन की जगह सेंट्रल विस्टा बन गया है. नया संसद भवन अब तक बने संसस का ही हिस्सा है. इसमें भारत की संस्कृति, परंपरा और प्रतीकों का इस्तेमाल किया गया है. यह 2024 के चुनाव से पहले मौजूदा सरकार के दशक भर के कामों का एक बड़ा प्रतिबिंब भी है, जिसे दिखा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए लोगों का समर्थन मांगेगे. जब भारत आजाद हुआ तो 'काउसिंल हाउस' को संसद भवन के रूप में अपनाया गया.अधिकारियों के अनुसार मौजूदा संसद भवन का इस्तेमाल संसदीय आयोजनों के लिए किया जाएगा.
प्रधानमंत्री के हाथों उद्घाटन को लेकर विपक्ष के 19 दलों ने सरकार की आलोचना की है. बावाजूद इसके रविवार 23 मई की सुबह नई संसद भवन के बाहर पारंपरिक सर्वधर्म प्रार्थना हुई. उसके बाद प्रधानमंत्री ने परिसर के भीतर दीपक जलाया. इस दौरान कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य मौजूद थे. प्रधानमंत्री सेंगोल लेकर संसद के भीतर गए इसे स्पीकर के आसन के बगल में लगाया गया है.
उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन का खुद उद्घाटन करके परंपरा का उल्लंघन किया है. यह काम राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए था, जो देश की प्रथम नागरिक और सबसे ऊंचे पद पर आसीन हैं. मोदी सरकार ने विपक्ष की दलीलों को खारिज किया है. सरकार का कहना है कि प्रोटोकॉल को नहीं तोड़ा गया है और प्रधानमंत्री देश के संवैधानिक प्रमुख का सम्मान करते हैं.
नया संसद परिसर 2.4 अरब रुपये की परियोजना से बने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के केंद्र में है. इसके जरिये एक तरफ जहां औपनिवेशिक दौर की इमारतों को महत्वहीन करने की योजना है, वहीं राजधानी में भारतीय पहचान के साथ आधुनिक इमारतों का निर्माण करना है. इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, "हमारी नई संसद सचमुच हमारे लोकतंत्र का प्रकाश स्तंभ है. इसमें देश की विरासत और चमचमाचे भविष्य की आकांक्षाएं हैं."
त्रिकोण की आकृति में बनी नई इमारत पुरानी गोल इमारत इमारत के सामने ही है. पुरानी इमारत को एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था. इसे भारत की स्वाधीनता से दो दशक पहले 1927 में बनाया गया था. पुराने संसद भवन को सरकार ने संग्रहालय में बदलने की योजना बनाई है. आधुनिक तकनीकों के अलावा नई संसद के दो विशाल कक्षों में 1,272 सदस्यों के लिए जगह है. पुरानी इमारत की तुलना में यहां सांसदों के लिए 500 सीटें ज्यादा है. दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश की नई संसद में अब पहले की तुलना में कुल मिलाकर तीन गुना ज्यादा जगह है.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के पूरे प्रोजेक्ट दरअसल राजपथ के क़रीब दोनों तरफ़ के इलाक़े को कहते हैं, जिसमें राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के करीब प्रिंसेस पार्क का इलाक़ा भी शामिल है. सेंट्रल विस्टा के तहत राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति का घर भी आता है.
— मौजूदा वक्त में लोकसभा सीटों की संख्या 545 है. 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन पर आधारित इन सीटों की संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ है. सीटों की संख्या पर यह स्थिरता साल 2026 तक रहेगी, लेकिन उसके बाद सीटों में बढ़ोत्तरी की संभावना है. ऐसे में जो नए सांसद चुनकर आएंगे उनके लिए पर्याप्त स्थान नहीं होगा.
— सरकार का कहना है कि बुनियादी तौर पर आजादी से पहले जब संसद भवन का निर्माण किया जा रहा था तब सीवर लाइनों, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन, सीसीटीवी, ऑडियो वीडियो सिस्टम जैसी चीज़ों का खासा ध्यान नहीं रखा गया था. बदलते समय के साथ संसद भवन में इन्हें शामिल करने के बावजूद भवन में सीलन जैसी दिक्कतें पैदा हुई हैं और आग लगने का ख़तरा बढ़ा है.
— इसी तरह से सुरक्षा के दृष्टीकोण से करीब 100 साल पहले जब संसद भवन का निर्माण हुआ था, उस वक्त दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र-2 में थी, लेकिन अब यह चार में पहुंच गई है.
— कर्मचारियों के लिए कम जगह भी पुरानी संसद में एक समस्या बन चुकी थी. सांसदों के अलावा सैकड़ों की संख्या में ऐसे कर्मचारी हैं, जो संसद में काम करते हैं. लगातार बढ़ते दबाव के चलते संसद भवन में काफी भीड़ हो गई है.
काफी अलग है नई संसद
— संसद में लोकसभा भवन को राष्ट्रीय पक्षी मयूर और राज्यसभा को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर डिजाइन किया गया है.
— पुरानी लोकसभा में अधिकतम 552 व्यक्ति बैठ सकते हैं. नए लोकसभा भवन में 888 सीटों की क्षमता है.
— पुराने राज्यसभा भवन में 250 सदस्यों के बैठने की जगह है, वहीं नए राज्यसभा हॉल की क्षमता को बढ़ाकर 384 किया गया है.
— नए संसद भवन की संयुक्त बैठक के दौरान वहाँ 1272 सदस्य बैठ सकेंगे.
नया क्या है?
— अधिकारियों के अनुसार नए भवन में सभी सांसदों को अलग दफ़्तर दिया जाएगा जिसमें आधुनिक डिजिटल सुविधाएं होंगी ताकि 'पेपरलेस दफ़्तरों' के लक्ष्य की ओर बढ़ा जा सके.
— नई इमारत में एक भव्य कॉन्स्टिट्यूशन हॉल या संविधान हॉल होगा जिसमें भारत की लोकतांत्रिक विरासत को दर्शाया जाएगा. वहाँ भारत के संविधान की मूल प्रति को भी रखा जाएगा.
— सांसदों के बैठने के लिए बड़ा हॉल, एक लाइब्रेरी, समितियों के लिए कई कमरे, भोजन कक्ष और बहुत सारी पार्किंग की जगह होगी.
नंबर में नया संसद
— इस पूरे प्रोजेक्ट का निर्माण क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर में फैला हुआ है. मौजूदा संसद भवन से नई संसद का क्षेत्रफल 17,000 वर्ग मीटर अधिक है.
— पुराने संसद भवन को ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने 'काउसिंल हाउस' के रूप में डिजाइन किया था. इसे बनाने में छह साल(1921-1927) लगे थे. उस वक्त इस भवन में ब्रिटिश सरकार की विधान परिषद काम करती थी. तब इसे बनाने पर 83 लाख रुपये खर्च हुए थे, वहीं आज नए भवन को बनाने में करीब 862 करोड़ रुपये खर्च आया है.
— पुरानी गोलाकार संसद का व्यास560 फुट (170.69 मीटर), क्षेत्रफलछह एकड़ (24281.16 वर्ग मीटर) है.
— पुराने संसद के प्रथम तल पर स्तंभ 144 है, जिासकी ऊंचाई27 फुट (8.23 मीटर) है.
— भवन के कुल 12 द्वार हैं.
किसने बनाया
— नई इमारत बनाने का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को मिला था. उसने सितंबर 2020 में 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाकर ये ठेका हासिल किया था.
— नया संसद भवन सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का खाका गुजरात स्थित एक आर्किटेक्चर फ़र्म एचसीपी डिज़ाइन्स ने तैयार किया है.
— सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (सीपीडब्ल्यूडी) ने संसद, कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट और सेंट्रल विस्टा के डेवलपमेंट के लिए कंसल्टेंसी का काम एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट को अक्टूबर, 2019 में सौंपा था.
— सेंट्रल विस्टा इलाके के मास्टर प्लान के डिवेलपमेंट और नई जरूरतों के हिसाब से बिल्डिंग्स का डिजाइन बनाने के काम में यह कंपनी शामिल रही है.
— इसके लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने का टेंडर सीपीडब्ल्यूडी ने पिछले साल सितंबर में निकाला था. कंसल्टेंसी के लिए 229.75 करोड़ रुपये का खर्च तय किया गया था. इस बिड में एचसीपी डिजाइन को जीत हासिल हुई.
— एचसीपी डिजाइन के पास गुजरात के गांधीनगर में सेंट्रल विस्टा और राज्य सचिवालय, अहमदाबाद में साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, मुंबई पोर्ट कॉम्प्लेक्स, वाराणसी में मंदिर कॉम्प्लेक्स के रीडिवेलपमेंट, आईआईएम अहमदाबाद के नए कैंपस के डिवेलपमेंट जैसे कामों का पहले से अनुभव है.