बड़े काम की महिलाओं से विज्ञान से दोस्ती
आज की तारीख में घरेलू महिला नमी वाले दिनों में वाशिंग मशीन के ड्रायर को कितने आरपीएम पर चलाना है, बाखूबी जानती हैं. दिल्ली की बस में सफर करते हुए स्मार्टफोन से फ्री का टिकट किस तरह से बुक करना है, या फिर आनलाइन खरीदारी करते हुए सामानों की अच्छी तरह जांच परख के साथ पेमेंट में कैसी सावाधानी बरतनी है, यह मालूम है. यानी कि विज्ञान और तकनीक ने महिलाओं की जिंदगी बदल डाली है. कह सकते हैं कि अनपढ़ और सामान्य शिक्षित महिला से लेकर प्रोफेशनल महिलाओं ने विज्ञान को अपना दोस्त बना लिया है.
वैसे तो पिछले दो—तीन दशक में विज्ञान और तकनीक के विकास के मामले में हमारी ज़िंदगी में क्रांति लेकर आया है. इसने एक तरह से कई वैज्ञानिक आविष्कारों की नींव रख दी है.इनसे आश्चर्यजनक उपलब्धि मिली है. विज्ञान ने मानव स्वास्थ्य की विभिन्न जैविक और व्यवहारिकता को तर्क के साथ समझाया है. जो कल तक अभिशाप बना हुआ था, आज वही वरदान बन गया है.
उदाहरण के तौर पर देखें तो पाएंगे कि एक विवाहित औरत मां नहीं बन पाने का दंश झेलती थी और इस के लिए तरह तरह के जतन करती थीं. बच्चा गोद लेने जैसे वैध तरीके अपनाए जाते थ. किंतु अब विज्ञान ने वैसी औरतों को टेस्टट्यूब बेबी तकनीक देकर इस समस्या से छुटकारा दिलवा दिया है. विज्ञान ने जीवन के लिए विचार प्रक्रिया को बदल दिया है. गुणसूत्र, जो संतान के लिंग को निर्धारित करता है उस की जानकारी होने से भोली-भाली महिलाएं भी मिथक के खिलाफ खड़ा होने लगी हैं. इस बात पर बहस करने का हथियार मिल गया है, जिसमें संतान के लिए एक विशिष्ट धार्मिक अनुष्ठान करना, या लड़कियों को जन्म देने के लिए महिलाओं को दोषी ठहराया जाना शामिल है.
मासिक धर्म अलगाव - यह अभी भी भारत समेत दूसरे कई देशों में प्रचलित है, हालांकि यह बिखरा हुआ है. पहले महिलाओं को घरों, रसोई, स्कूलों और मंदिरों में प्रवेश करने की मनाही थी. उन्हें अंधेरे में और छिपकर रहना पड़ता था. मासिक धर्म प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए उन्हें अस्वच्छ साधनों का उपयोग करना पड़ा और कई मुसीबतों के दौर से गुजरना पड़ा. यहां तक कि इससे जान का जोखिम भी बना रहा.
फिर विज्ञान ने समझाया कि कैसे पीरियड्स अभिशाप नहीं बल्कि वरदान हैं. महिलाएं कैसे स्वस्थ थीं और पीरियड्स के दौरान कुछ भी संभालने में सक्षम थीं. धीरे-धीरे विज्ञान ने मासिक धर्म के दौरान महिलाओं की स्थिति को ऊंचा करने के लिए उत्पादों का विकास किया.
वाशिंग मशीन: विज्ञान की देन वाशिंग मशीन केवल एक साधारण आविष्कार नहीं था. यह एक क्रांति बनकर सबके सामने आई. इसने घिसने, भिगोने, मरोड़ने और दोहराने की घंटों की कड़ी मेहनत को खत्म कर दिया.
घरेलू कामकाज आदर्श रूप से पुरुष और महिला परिवार के लोगों के बीच एक संयुक्त जिम्मेदारी होनी चाहिए थी, लेकिन सदियों से खड़े आखिरी योद्धा की तरह महिलाओं ने उन्हें कंधा दिया है.
इस आविष्कार ने मेहनत से बचाया. इसी तरह के दूसरे उपकरण, जैसे वैक्यूम क्लीनर, ब्लेंडर, माइक्रोवेव, गैस, और कई और अधिक उन्नत उपकरणों से महिला की जिंदगी का स्तर बढ़ गया. घरेलू कार्यों में मदद करने से अधिक, इन स्मार्ट उपकरणों ने महिलाओं को सोचने, आराम करने और समय बचाने की गुंजाइश दी.
मोबाइल फ़ोन: यह अब बात करने के लिए केवल एक उपकरण से कहीं अधिक है. महिलाओं के लिए यह अधिक शक्ति रखती है, क्योंकि यह उन्हें कई तरह से दुनिया से जोड़ती है. यह अब मनोरंजन, घरेलू कामकाज, साजसंभाल, शिक्षा, ज्ञान, वित्तीय सशक्तिकरण, स्वतंत्रता और प्रबंधन का एक तरीका बन गया है. महिला सशक्तिकरण में योगदान देने वाले कुछ और वैज्ञानिक आविष्कार हैं- आईवीएफ, गर्भनिरोधक गोलियां, अल्ट्रासाउंड, डायपर आदि हैं.