डिजिटल इंडिया मिशन को मिलेगा लाभ
भारत में 5G सर्विस शुरू करने के लिए केन्द्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार (15 जून) को हुई केन्द्रीय कैबिनट की बैठक में 5G स्पेक्ट्रम के ऑक्शन को मंजूरी मिल गई है। आइए, जानते हैं इससे जुड़ी 5 अहम बातों के बारे में..
केन्द्र सरकार ने 15 जून को हुई कैबिनेट मीटिंग में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी को मंजूरी दी है। साथ ही, कैबिनेट ने 3.5 GHz (गीगाहर्ट्ज) बैंड की बेस प्राइस 317 करोड़ रुपये रखी है। टेलीकॉम कंपनियों को 20 सालों के लिए स्पेक्ट्रम अलॉट किया जाएगा। 5G स्पेक्ट्रम की बेस प्राइस TRAI द्वारा 2018 में की गई सिफारिशों से 36 प्रतिशत कम रखा गया है। DoT (दूरसंचार विभाग) ने टेलीकॉम कंपनियों से 8 जुलाई 2022 तक आवेदन प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा है। स्पेक्ट्रम की नीलामी 26 जुलाई को की जाएगी। आइए, जानते हैं भारत में 5G सर्विस से जुड़ी हर बात।
इन स्पेक्ट्रम बैंड का होगा आवंटन
केंद्रीय कैबिनेट ने 5G सर्विस शुरू करने के लिए 600 MHz, 700 MHz, 800 MHz, 900 MHz, 1800 MHz, 2100 MHz, 2300 MHz जैसे कुल 72GHz बैंड की नीलामी को मंजूरी दी है। सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को बैकहॉल के लिए ई-बैंड में 250-250 MHz के दो कैरियर आवंटित किए हैं। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि देश के40 प्रति टावरों के लिए ही फिलहाल ऑप्टिकल फाइबर बैकहॉल उपलब्ध है। Also Read - 5G की रेस में Jio और Airtel आगे, Vodafone-Idea पर संदेह: रिपोर्ट
26 जुलाई को नीलामी प्रक्रिया होगी पूरी
केन्द्रीय कैबिनेट ने दूरसंचार विभाग से 26 जुलाई तक 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा है, ताकि 2022 के अंत और 2023 की शुरुआत तक देश के कुछ शहरों में 5G सर्विस की सीमित सेवाएं शुरू करने के लिए टेलीकॉम कंपनियां तैयार रहे। फिलहाल Airtel, Reliance Jio और Vodafone-idea कुछ शहरों में 5G टेस्टिंग कर रहे हैं। ये टेलीकॉम कंपनियां अपने मोबाइल नेटवर्क को 5G रेडी बता रहे हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि टेलीकॉम कंपनियों को 5G सर्विस के लिए बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने की जरूरत है।
5G स्पेक्ट्रम के लिए एडवांस पेमेंट की जरूरत नहीं
केन्द्र सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों और 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में भाग लेने वाली कंपनियों को राहत देते हुए अग्रिम भुगतान यानी एडवांस पेमेंट की अनिवार्यता खत्म कर दी है। कैबिनेट ने स्पेक्ट्रम की सफल बोली लगाने वाली कंपनी को 20 आसान किश्तों (EMI) में स्पेक्ट्रम के लिए लगाने वाली बोली की राशि का भुगतान करने की सहूलियत दी है। साथ ही, सफल बिड लगाने वाली कंपनियों को 10 साल बाद स्पेक्ट्रम वापस करने का भी विकल्प दिया है। ऐसा करने के बाद सफल बिडर को बांकी के 10 किश्तों का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
5G से सबको मिलेगा लाभ
एक्सपर्ट्स का मानना है कि 5G सेवा शुरू होने से हर सेक्टर को इसका लाभ मिलेगा। टेलीकॉम कंपनियो और आम यूजर्स के साथ-साथ इंडस्ट्री को भी इसका फायदा मिलेगा। खास तौर पर सरकार की महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया मिशन को इससे लाभ मिलने वाला है। 5G नेटवर्क के साथ यूजर्स को मौजूदा 4G के मुकाबले 10 गुना ज्यादा इंटरनेट स्पीड मिलेगी। 5G सर्विस चालू होने के बाद 300Mbps से लेकर 1GHz तक की स्पीड से इंटरनेट ऐक्सेस किया जा सकेगा।
कैप्टिव प्राइवेट नेटवर्क को मिली मंजूरी
भारत में 5G सर्विस शुरू करने के लिए केन्द्र सरकार ने ‘कैप्टिव प्राइवेट नेटवर्क’ की भी मंजूरी दी है। इसमें इंडस्ट्रियल यूज के लिए दूरसंचार विभाग से डायरेक्ट स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाएगा। सरकार के इस फैसले से टाटा कम्युनिकेशंस, ITC और ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के गैर मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स को फायदा मिलेगा।
ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के सदस्यों में Facebook, Google और Amazon जैसी विदेशी कंपनियां भी शामिल हैं। ये कंपनियां लंबे समय से TRAI से कैप्टिव रिमोट प्राइवेट नेटवर्क की मांग कर रहे थे। हालांकि, भारत के अलावा अन्य देशों में इन कंपनियों को पहले से ही यह सुविधा मिल रही थी।
सरकार के इस फैसले से टेलीकॉम कंपनियां खुश नजर नहीं आ रही हैं। कंपनियों ने COAI के जरिए केन्द्रीय संचार और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर रहा है कि इस फैसले से 5G अव्यावहारिक हो जाएगा और सर्विस प्रोवाइडर्स को 5G सर्विस रोल आउट करने की कोई जरूरत नहीं होगी। हालांकि, इसको लेकर COAI (सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया है।