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बन सकते हैं राज्यपाल या उपराष्ट्रपति
पद्मसंभव श्रीवास्तव बीजेपी ने पहले मोदी सरकार के एकमात्र मुस्लिम चेहरे और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का राज्यसभा से टिकट काटा, उसके बाद यह उम्मीद जगी थी कि उन्हें रामपुर से लोकसभा का उपचुनाव उम्मीदवार घोषित किया जा सकता है। पार्टी हलकों में भी इसकी चर्चा थी, लेकिन पार्टी ने वहां से भी मुख्तार अब्बास नकवी को टिकट नहीं दिया। इस तरह फिलहाल संसद से उनकी विदाई तय हो गई है।राज्यसभा में उनका कार्यकाल 7 जुलाई तक है।लिहाज़ा 7 जुलाई को वह राज्यसभा से औपचारिक रूप से विदा हो जाएंगे। हालांकि वह उसी दिन मंत्री पद से इस्तीफा देंगे या अगले 6 महीने तक मंत्री बने रहेंगे इस पर तस्वीर अभी साफ नहीं है। सन् 2016 में नक़वी राज्यसभा के सदस्य रहते हुए सरकार में पहली बार मंत्री बने थे। 2019 में भी जब उन्हें दूसरी बार मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी, तब भी वह राज्यसभा के सदस्य थे। लिहाज़ा राज्यसभा की सदस्यता ख़त्म होते ही उनके मंत्री पद पर तलवार लटक जाएगी। वहीं कुछ कानूनी जानकारों के मुताबिक़ वह अगले 6 महीने तक इस पद पर बने रह सकते हैं।यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तय करना है कि वो नक़वी के राज्यसभा से विदाई के साथ ही अपने मंत्रिमंडल से भी विदा करेंगे या अगले 6 महीने तक उन्हें अपने मंत्रिमंडल में बनाए रखेंगे। संसद से बाहर का रास्ता और मंत्री पद से पत्ता साफ होने के बाद नकवी के राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।सवाल उठ रहा है कि क्या पार्टी उन्हें संगठन में कोई महत्वपूर्ण पद देगी या फिर उनके लिए पार्टी ने कुछ और बेहतर सोच रखा है। इस पर अभी ना तो नकवी ही कुछ कह पा रहे हैं और ना ही पार्टी का कोई बड़ा नेता कोई ठोस जानकारी दे पा रहा है। बीजेपी में इस तरह बड़े नेताओं के बारे में अहम फैसले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के स्तर पर लिए जाते हैं। नीचे के नेताओं को इसकी भनक तक नहीं होती। लिहाज़ा फिलहाल यह कहा जा सकता है कि अभी नक़वी का राजनीतिक भविष्य अंधेरे में है। नए रास्ते की तलाश है। नया रास्ता मिलेगा तो नक़वी एक बार फिर शिखर पर पहुंच सकते हैं, वर्ना गुमनामी के अंधेरे में भी गुम हो सकते हैं। बीजेपी हलकों में चर्चा है कि नक़वी को अगस्त में होने वाले उपराष्ट्रपति के चुनाव में बीजेपी की तरफ से एनडीए का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। अभी नक़वी की उम्र लगभग 65 वर्ष है।उपराष्ट्रपति पद के लिए वह उपयुक्त उम्मीदवार हो सकते हैं।यह सिर्फ़ क़यास हैं।जैसे बीजेपी सूत्र पहले दावा कर रहे थे कि उन्हें लोकसभा के उपचुनाव में रामपुर से उतारा जा सकता है, उसी तरह अब यह नया दावा शुरू हो गया है कि उन्हें उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है।हालांकि इसकी संभावनाएं कम ही दिखती हैं. लेकिन आजकल सियासत में यह मुहावरा खूब चल रहा है कि ‘मोदी है तो कुछ भी मुमकिन है’। दूसरी उम्मीद यह है कि नक़वी को आगे चलकर किसी राज्य का राज्यपाल बना कर भेजा जा सकता है। इसी तरह की उम्मीद पिछले साल रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर जैसे कद्दावर नेताओं को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाए जाने पर दिखाई जा रही थी। हालांकि अभी तक किसी का नंबर राज्यपाल के लिए नहीं आया है।उनका नंबर अभी तक नहीं आया है तो नक़वी का नंबर कब तक आएगा इस बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। यह साफ़ है कि पार्टी में अपना पूरा जीवन बिताने और सरकार में साढ़े सात साल मंत्री रहते हुए लगातार काम करने के बाद अचानक संसद से बाहर कर दिए जाने की टीस मुख्तार अब्बास नक़वी को तब तक सताती रहेगी, जब तक राजनीति में उनका पुनर्वास नहीं हो जाता। फेसबुक वाल से साभार