नाम बदलकर नया पहचान पाने की पहल
तुर्की इन दिनों दो कारणों से चर्चा में है. पहली यह कि उस ने भारत द्वारा भेजा गया 56,877 मिलयन टन गेंहू से लदे जहाज को वापस भेज दिया है. उस का कहना है कि इसमें रूबेला वायरस है. इसकी सच्चाई का तो पता तब चलेगा, जब इस बावत पूरी तरह से जांच होगी. किंतु अभी यही कहा जा सकता है कि क्या तुर्की सचमुम में टर्की यानी बेवकूफ है. कैंब्रीज डिक्शनरी में टर्की का मतलब "एक बेवकूफ व्यक्ति" या "कोई ऐसी चीज जो बुरी तरह से असफल हो जाती है" बताया गया है.
यही कारण है वहां की सरकार पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि उसे अब सभी भाषाओं में 'तुर्किए नाम से संबोधित किया जाए. वहां के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान इसे अब पूरी दुनिया में इसी नाम को लोकप्रिय कराने की कोशिश में लग गए हैं.
संयुक्त राष्ट्र के मुख्य प्रवक्ता स्टेफन दुजारिच ने यह जानकारी देते हुए घोषणा की कि "बदलाव तत्काल प्रभाव से लागू है." उन्होंने यह भी बताया कि बदलाव का अनुरोध करते हुए अंकारा से आधिकारिक पत्र बुधवार, एक जून को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में प्राप्त हुआ.
तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कोवुसोग्लु ने चिट्ठी पर हस्ताक्षर करते हुए अपनी एक तस्वीर ट्वीट भी की. उन्होंने कहा था कि इस बदलाव से उनके देश की "ब्रांड वैल्यू को बढ़ाने" के लिए राष्ट्रपति एर्दोवान द्वारा की गई एक पहल पूरी हो जाएगी.
माना जाता है कि एर्दोवान सरकार देश के नाम को टर्की चिड़िया के नाम से और टर्की शब्द से जुड़े कुछ नकारात्मक मायनों से अलग करने की कोशिश कर रही है. 1923 में आजादी की घोषणा के बाद देश ने खुद को 'तुर्किए' नाम ही दिया था.
दिसंबर में एर्दोवान ने आदेश दिया था कि देश की संस्कृति और मूल्यों का बेहतर प्रतिनिधित्व करने के लिए "तुर्किए" नाम का इस्तेमाल किया जाए और निर्यात होने वाले उत्पादों पर "मेड इन टर्की" की जगह "मेड इन तुर्किए" लिखा जाए. मंत्रालयों ने भी आधिकारिक दस्तावेजों में "तुर्किए" का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.
कुछ महीनों पहले सरकार ने एक प्रमोशनल वीडियो भी जारी किया था, जिसमें पूरी दुनिया से आए पर्यटकों को मशहूर स्थलों पर "हेलो तुर्किए" कहते हुए दिखाया गया था.
इस के पीछे का कारण है टर्की का मतलब बेवकूफ होना है. तुर्की टर्की नाम की चिड़िया से अपने नाम को जोड़े जाना बंद करना चाह रहा है. कुछ महीनों पहले वहां के चैनल की वेबसाइट पर एक लेख में बताया गया था कि "टर्की" को गूगल करने पर "कुछ भ्रमित करने वाली तस्वीरें, लेख और परिभाषाऐं सामने आती हैं जो देश को दूसरी चीजों के नाम से मिला देते हैं, जैसे मेलाग्रेस या टर्की चिड़िया."
लेख में यह भी लिखा था कि कैंब्रिज डिक्शनरी में टर्की का मतलब "एक बेवकूफ व्यक्ति" या "कोई ऐसी चीज जो बुरी तरह से असफल हो जाती है" बताया गया है.
अब गेंहूं के संबंध में बात करेें, तो पाएंगे कि लगातार बढ़ती महंगाई और कमजोर होती करेंसी से जूझ रहे तुर्की ने भारतीय गेहूं की खेप लेने से इनकार कर दिया है. ऐसा उस ने फाइटोसैनिटरी चिंताओं का हवाला देते हुए तुर्की ने ऐसा किया है. फाइटोसैनिटरी यानी पेड़-पौधों से जुड़ी बीमारी होती है. एसएंडपी ग्लोबल ने इससे जु़ड़ी एक रिपोर्ट पब्लिश की है.
इस बोरे में इस्तांबुल के एक व्यपारी का कहना है कि कृषि मंत्रालय को भारतीय गेहूं की खेप में रूबेला बिमारी का पता चला है जिस कारण इसे रिजेक्ट किया गया है। इस कारण 56,877 मिलियन टन गेंहू से लदा एमवी इंस अकडेनिज जहाज तुर्की के इस्केंडरुन पोर्ट से वापस भेज दिया गया है, जो जून के मध्य तक गुजरात के कांडला पोर्ट पर पहुंच जाएगा.
तुर्की के कृषि मंत्रालय ने खेप को रिजेक्ट करने से जुड़े सवालों का लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं दिया था. तुर्की का यह कदम ऐसे समय में उठाया जब रूस-यूक्रेन जंग के कारण गेहूं की सप्लाई दुनियाभर में प्रभावित हुई है और अंतरराष्ट्रीय खरीदार गेहूं की आपूर्ति सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं.
तुर्की के इस कदम ने भारतीय निर्यातकों को थोड़ी परेशानी हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगले कुछ दिनों में मिस्र सहित विभिन्न देशों में भारतीय गेहूं का शिपमेंट जाना है. भारतीय गेहूं को रिजेक्ट करने से दूसरे देश भी इसकी क्वालिटी को लेकर सवाल उठा सकते हैं.
मिस्र ने करीब 2 महीने पहले ही क्लालिटी चेक के बाद भारत को गेहूं सप्लायर के रूप में मंजूरी दी थी.भारतीय गेहूं की क्वालिटी चेक करने के लिए मिस्र का एक डेलिगेशन भारत आया था. इस डेलिगेशन ने मध्य प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र का दौरा किया था. डेलिगेशन ने गेहूं के सैंपल्स की जांच की थी. इंडियन फाइटोसैनिटरी मेजर्स का भी इंस्पेक्शन किया था.
भारत में मिस्र के राजदूत वाल मोहम्मद अवद हमीद भी इस टीम के साथ थे. भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन वो कम गेहूं एक्सपोर्ट करता है. दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं एक्सपोर्टर रूस है. गेहूं एक्सपोर्ट में यूक्रेन 6 नंबर पर है. रूस-यूक्रेन जंग के कारण ग्लोबल मार्केट में गेहूं की उपलब्धता में गिरावट आई है.