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डिजिटल इंडिया को लग जाएंगे पंख वह दिन दूर नहीं जब इंटरनेट सर्विस और स्पीड में सुधार होगा और वह सभी जगह आसानी से उपलब्ध हो जाएगा. इसके लिए एलन मस्के पहले से ही सेटेलाइट के जरिए इंटरनेट मुहैया करवाने की पहल कर चुके हैं. वे छोटे—छोटे सेटेलाइट के जरिए आकाश से इंटरनेट पहुंचाने के हजारो लो आर्बिट सेटेलाइट लांच कर चुके हैं. उनकी कंपनी स्पेस एक्स को टक्कर देने के लिए एयरटेल की कंपनी वनवेब ने भी अपना सेटेलाइट लांच करने के लिए इसरो से समझौता किया है. पिछले दिनों सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कंपनी वनवेब ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) की वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के साथ रॉकेट लॉन्च के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि वनवेब अपने उपग्रह प्रक्षेपण कार्यक्रम को पूरा करता है। यह पहले ही कुल 428 छोटे—छोटे लोअर्थ ऑर्बिट (LEO) उपग्रहों को अंतरिक्ष में लॉन्च कर चुकी है। इसकी प्रारंभिक योजना 648 के एक समूह का निर्माण करना है, जो वैश्विक कवरेज के लिए पर्याप्त है। इसके लिए 588 की आवश्यकता है। भारत की भारती ग्लोबल यूके सरकार के अलावा वनवेब के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण शेयरधारकों में से एक है। न्यू स्पेस इंडिया के साथ पहला लॉन्च 2022 में सतीश धवन स्पेस सेंटर (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा से होने की उम्मीद है। कंपनी ने भारतीय रॉकेटों के इस्तेमाल के लिए एक सौदा भी किया है, जो स्पेसएक्स के साथ किए गए अनुबंध का पूरक होगा। ये LEO भारत के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) मार्क 3 रॉकेट (या संभवत: मार्क 2) लांच किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि GSLV भारत का सबसे बड़ा और सबसे सक्षम राकेट लांचर है, जिसका इस्तेमाल आखिरी बार 2019 में चंद्रयान-2 मून मिशन को लॉन्च करने के लिए किया गया था। लगभग नौ टन यह पहली बार है जब GSLV-Mk3 ने वाणिज्यिक मिशन शुरू किया है। मध्यम-लिफ्ट ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) एक अन्य विकल्प है।
प्रारंभिक योजनाएं वनवेब की वाणिज्यिक सेवा शुरू में यूके, अलास्का, कनाडा, उत्तरी यूरोप, ग्रीनलैंड, आइसलैंड और आर्कटिक समुद्र के हिस्सों की सर्विसिंग पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यह सरकार, समुद्री, विमानन और उद्यम की जरूरतों के लिए उपयोगी साबित होगी। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सामुदायिक मोबाइल (बैकहॉल) और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी बाद में आएगी, सबसे अधिक संभावना बीटी और यूटेलसैट जैसे पार्टनर आईएसपी के माध्यम से होगी। इसके बाद वनवेब उपग्रह संचार सेवाएं प्रदान करने में सक्षम होगा और भारती समूह को अपने मोबाइल टावरों को उपग्रह सेवाओं के माध्यम से जोड़ने में एक फायदा होगा। इसके ब्रॉडबैंड इंटरनेट उपग्रहों का पहला भारतीय प्रक्षेपण वर्ष के अंत तक हो सकता है। इसका सीधा फायदा डिजिटल इंडिया के लिए एक बनाए गए तमाम जरूरतों की पूर्ति में मिलेगा। दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, बैंकों, कारखानों, स्कूलों, रक्षा संगठनों, घरेलू एयरलाइनों और अपतटीय पोत संचालकों सहित उद्यम और सरकारी ग्राहक नई उच्च प्रदर्शन वाली सैटकॉम सेवाओं के आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ह्यूजेस कम्युनिकेशन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक पार्थो बनर्जी का कहना है कि हम उन्हें वनवेब क्षमता का उपयोग करते हुए एचसीआईपीएल से उच्च गति, कम विलंबता सेवाएं लाने और भारत को कनेक्टिविटी के अत्याधुनिक स्तर तक पहुंचाने के लिए तत्पर हैं।