नई शिक्षा नीति: बदल जाएगी एडमिशन की तस्वीर
पिछले साल तक 12वीं के बाद अंडरग्रेजुएट में एडमिशन के लिए काफी मारा—मारी रहती थी. 90—95 फीसदी नंबर लाने वाले को भी दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन नहीं मिल पाता था. कुछ विषयों के लिए कटआफ 99 प्रतिशत तक चला जाता था.
नतीजतन दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिले की उम्मीद में हजारों छात्र कटऑफ के बाद हताश हो जाते थे. वे नहीं चाहते हुए भी पढ़ाई के लिए वैसे विषय चुनने का मजबूर हो जाते थे, जिनमें उन्हें रूचि नहीं हाती थी.
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. इस बार 2022-23 शैक्षणिक सत्र से यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने अंडर ग्रेजुएट कोर्स में दाखिला लेने की पुरानी व्यवस्था को बदल दिया है. अब देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ग्रेजुएशन में दाखिला लेने के लिए बारहवीं बोर्ड में प्राप्त अंकों को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी. परंतु हां, न्यूनतम अंकों की जरूरत बनी रहेगी.
यह नई शिक्षा नीति के तहत यूजीसी द्वारा एडमिशन के लिए अपनाए जाने वाले तरीके से संभव होगा. यूजीसी ने विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा की व्यवस्था की है. उसके द्वारा एक कॉमन टेस्ट लिया जाएगा. उससे बनने वाले मेरिट लिस्ट के आधार पर स्टुडेंट देश के किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय में दाखिला ले सकेंगे. इसमें बारहवीं के नंबरों को महत्व नहीं रहेगा. जैसे यदि काई छात्र बारहवीं में 90 प्रतिशत अंक प्राप्त करता है और विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा में 80 प्रतिशत. तब उस का नामांकन प्रवेश परीक्षा में आए अंक के प्रतिशत के आधार पर नामांकन मिल पाएगा. यूजीसी ने इस नई व्यवस्था की घाषण 21 मार्च को की.
नई व्यवस्था के मुताबिक 2022-23 शैक्षणिक सत्र से विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा (CUET) का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के द्वारा किया जाएगा. यह परीक्षा कंप्यूटर बेस्ड होगी, जिसमें छात्रों को सेंटर पर जाकर कंप्यूटर की मदद से मल्टीपल च्वॉइस सवालों का जवाब देना होगा. परीक्षा का पाठ्यक्रम, एनसीईआरटी के 12वीं कक्षा के सिलेबस से मिलता-जुलता ही होगा.
विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा 13 भाषाओं में होगी. छात्र अपनी पसंद की भाषा का चयन कर इस परीक्षा को दे सकते हैं. इनमें अंग्रेजी, हिंदी, असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू भाषा शामिल है.
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अंडर ग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन अप्रैल 2022 के पहले सप्ताह से शुरू होंगे. छात्रों को जुलाई के पहले हफ्ते में ये परीक्षा देनी होगी. यूजीसी के चेयरमैन प्रो. एम जगदीश कुमार का मानना है कि इससे बच्चों को देश में लेवल प्लेइंग फील्ड मिलेगी. इस परीक्षा में शामिल होने वाला 13 भाषाओं में से किसी भी भाषा का चुनाव कर सकता है. इसके अलावा परीक्षा के लिए दिए गए 27 मुख्य विषयों में से एक छात्र ज्यादा से ज्यादा 6 विषयों के लिए परीक्षा दे सकता है. इसके आधार पर केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंडर ग्रेजुएट कोर्स में दाखिला मिलेगा.
इस का मतलब यह नहीं समझा जाना चाहिए कि बारहवीं के नंबर पूरी तरह खत्म हो जाएंगे. केंद्रीय विश्वविद्यालय बारहवीं के नंबरों को दाखिले के लिए न्यूनतम आधार बना सकते हैं. उदाहरण के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी ये कर सकती है कि वो बारहवीं में कम से कम 60 प्रतिशत नंबर लाने वाले बच्चों को ही कॉमन टेस्ट के आधार पर दाखिला दे, या बनारस विश्वविद्यालय दाखिले के लिए बारहवीं में 70 प्रतिशत न्यूनतम नंबरों को आधार बनाए. ये फैसला कोई भी केंद्रीय विश्वविद्यालय अपने से कर सकता है. यानी कि बारहवीं में प्राप्त नंबर कॉमन टेस्ट में शामिल होने के लिए उपयोगी बने रहेंगे.