
मरिया रेसा और दमित्री मुरातोव
प्रदीप श्रीवास्तव
इस साल शांति के नाबेल पुरस्कार के लिए दो खबरनीबीसों को चुना गया है.वे हैं फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेसा और रूसी पत्रकार दमित्री मुरातोव. उन्हें 8 अक्टूबर को इस साल शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई। नार्वे की नोबेल समिति ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए उनकी लड़ाई का हवाला देते हुए कहा कि शांति को बढ़ावा देने के लिए यह महत्वपूर्ण है। समिति की अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन के अनुसार स्वतंत्र और तथ्य आधारित पत्रकारिता सत्ता के दुरुपयोग, झूठ और युद्ध के दुष्प्रचार से बचाने का काम करती है।
उन्होंने कहा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता के बिना राष्ट्रों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देना, निरस्त्रीकरण और सफल होने के लिए बेहतर विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देना मुश्किल होगा। नोबेल समिति ने कहा कि 2012 में रेसा द्वारा सह-संस्थापित वेबसाइट रैपलर ने राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते शासन के विवादास्पद और जानलेवा ड्रग्स विरोधी अभियान पर आलोचनात्मक दृष्टि से ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने और रैपलर ने इस बात को भी साबित किया है कि कैसे फर्जी समाचार फैलाने, विरोधियों को परेशान करने और सार्वजनिक संवाद में हेरफेर करने के लिए इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल किया जा रहा है। दूसरी तरफ, मुरातोव 1993 में स्वतंत्र रूसी समाचार पत्र नोवाया गजेटा के संस्थापकों में से एक थे।
सत्ता के प्रति मौलिक रूप से आलोचनात्मक रवैये के साथ नोवाया गजेटा आज रूस में सबसे स्वतंत्र समाचार पत्र है। इसकी तथ्य आधारित पत्रकारिता और पेशेवर निष्ठा ने इसे रूसी समाज के आलोचनात्मक पहलुओं पर जानकारी का अहम स्रोत बना दिया है, जिसका उल्लेख दूसरे मीडिया संस्थानों द्वारा शायद ही कभी किया जाता है। नोबेल समिति ने इस बात का भी उल्लेख किया कि नोवाया गजेटा शुरू किए जाने के बाद से इसके छह पत्रकार मारे जा चुके हैं। इनमें चेचेन्या के साथ रूस के खूनी संघर्ष की रिपोर्टिग करने वाले अन्ना पोलित्कोवस्काया भी शामिल हैं। क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने मुरातोव की प्रशंसा करते हुए उन्हें प्रतिभाशाली और बहादुर व्यक्ति बताया है। पेसकोव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हम मुरातोव को बधाई दे सकते हैं। उन्होंने अपने आदर्शो के अनुरूप लगातार काम किया है।
नोबेल पुरस्कार के साथ विजेताओं को स्वर्ण पदक के साथ एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (11.4 लाख डालर से अधिक) की राशि दी जाएगी। दोनों पुरस्कार विजेताओं में यह राशि बराबर बांटी जाएगी।
मारिया रेसा
मारिया रेसा फिलीपींस में सत्ता के दुरुपयोग और हिंसा के इस्तेमाल का पर्दाफाश करने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग करती हैं।--अपनी वेबसाइट रैपलर की सीईओ के रूप में उन्होंने बिना किसी डर के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन किया हैइससे पहले मारिया रेसा को इसी साल यूनेस्को का गुइलेर्मो कैनो विश्व प्रेस स्वतंत्रता पुरस्कार भी मिल चुका है. दिमित्री भी साल 2007 में सीपीजे इंटरनेशनल प्रेस फ्रीडम अवार्ड जीत चुके हैं. उन्हें यह पुरस्कार हमलों, धमकियों और कैद के खिलाफ प्रेस की स्वतंत्रता बचाने के लिए दिया गया था.
दमित्री मुरातोव
दमित्री मुरातोव रूस में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद दशकों तक अभिव्यक्ति की आजादी के बड़े पैरोकार रहे हैं। --पत्रकारों की हत्या और धमकियों के बावजूद उन्होंने नोवाया गजेटा अखबार की स्वतंत्र नीति को त्यागने से इन्कार कर दिया है।
दिमित्री मुरातोव रूसी अखबार नोवाया गजेटा के एडिटर-इन-चीफ हैं. दिमित्री के अखबार को कमेटी ने 'आज के रूस में सच्चा आलोचनात्मक नजरिया रखने वाला अकेला अखबार' बताया. दिमित्री ने साल 1993 में नोवाया गजेटा की स्थापना की थी. उनके बारे में कमेटी कहा, "अखबार की तथ्यपरक पत्रकारिता और पेशेवर निष्ठा ने इसे रूसी समाज के निंदनीय पहलुओं के बारे में जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना दिया है, जिसके बारे में शायद ही कभी अन्य मीडिया में चर्चा भी होती है."
इस समाचार पर प्रतिक्रिया देते हुए दिमित्री मुरातोव ने कहा, "हम उन लोगों की मदद करने की कोशिश करते रहेंगे, जिन्हें अब (रूस में) विदेशी एजेंट करार दिया जा रहा है, जिन पर हमले हो रहे हैं और जिन्हें देशनिकाला दिया जा रहा है."
पुरस्कारों की घोषणा करते हुए नोबेल कमेटी की प्रमुख बेरिट रीस ने कहा, "दबाव रहित, आजाद और तथ्यों पर आधारित पत्रकारिता ताकत, झूठ और युद्ध प्रोपेगेंडा से बचाव करती है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की आजादी के बिना, देशों के बीच भाईचारे, निरस्त्रीकरण और एक बेहतर वैश्विक व्यवस्था को सफलतापूर्वक बढ़ावा देना मुश्किल होगा."