विश्व शतरंज दिवस 2021
आज विश्व शतरंज दिवस है। इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल 20 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन 1924 में पेरिस में की गई अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (International Chess Federation-FIDE) की स्थापना को चिन्हित करने के लिए मनाया जाता है। इसके अलावा इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करने की दिशा में FIDE द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को चिन्हित करने के साथ-साथ देखभाल, बात-चीत, एकजुटता और शांति को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है, जिसका लक्ष्य शतरंज कार्यक्रमों के लिए सहयोग और दुनिया के सभी लोगों के बीच मैत्रीपूर्ण सद्भाव में सुधार लाना है।
इस अवसर पर पिछले साल 2020 में विश्वभर के शीर्ष शतरंज खिलाड़ियों ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित उच्च-स्तरीय ऑनलाइन इवेंट "चेस फॉर रिकवरिंग बैटर' (Chess for Recovering Better) में हिस्सा लिया।
शतरंज के बारे में:शतरंज (Chess) दो खिलाड़ियों के बीच खेला जाने वाला बहुत ही प्राचीन, बौद्धिक और सांस्कृतिक खेलों में से एक माना जाता है जो निष्पक्षता, समावेश और आपसी सम्मान को प्रोत्साहित करता है, और इस संबंध में ध्यान देने योग्य है कि यह लोगों और देशों के बीच सहिष्णुता और समझ का माहौल तैयार कर सकता है।
नील आर्मस्ट्रांग के कदम चांद पर
इतिहास के पन्नों में 20 जुलाई की तारीख एक खास घटना के साथ दर्ज है। दरअसल यह वही तारीख थी जब नील आर्मस्ट्रांग के रूप में किसी इंसान ने पहली बार चंद्रमा की सतह पर कदम रखा। 16 जुलाई को अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत में स्थित जॉन एफ कैनेडी अंतरिक्ष केन्द्र से उड़ा नासा का अंतरिक्ष यान अपोलो 11 चार दिन का सफर पूरा करके 20 जुलाई 1969 को इंसान को धरती के प्राकृतिक उपग्रह चांद पर लेकर पहुंचा। यह यान 21 घंटे 31 मिनट तक चंद्रमा की सतह पर रहा।
दिल्ली का सुल्तान बना अलाउद्दीन खिलजी
अलाउद्दीन खिलजी, खिलजी वंश के दूसरे शासक थे, जो एक बलवान और रणनीतिकार राजा माने जाते हैं. अलाउद्दीन अपने चाचा जलालुद्दीन खिलजी की हत्या करने के बाद खुद को सुल्तान घोषित कर दिया था.इसके बाद 20 जुलाई 1296 में अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली की गद्दी पर बैठे. सुल्तान बनने के बाद अलाउद्दीन खिलजी लगातार अपना साम्राज्य फैलाते रहे. इन्होंने अपने राज्य में शराब की खुले आम बिक्री पर पाबंदी लगा दी थी.
अलाउद्दीन पहले ऐसे मुस्लिम शासक था, जिन्होंने दक्षिण भारत पर भी अपना अधिकार जमाया. इनकी बढ़ती ताकत के साथ इनके वफादारों और हितैषियों की संख्या में भी इज़ाफा होने लगा. मालिक कफूर इनके वफादारों में से एक थे.
एतरफ जहां खिलजी की सेना राज्य विस्तार के लिए दक्षिण भारत में भारी उत्पात मचाते रहे, वहीं कई बार मंगोलों से दिल्ली को भी बचाया. इन्होंने कई बार शक्तिशाली मंगोलियों को युद्ध के मैदान में धुल चटाई थी.
खिलजी ने अपने शासन काल में धर्म और राजनीति का पृथकरण करने की नीति अपनाई.इसने भारत के अधिकांश राज्यों पर अपना कब्ज़ा जमा लिया था, जिसके लिए इनकी सेना ने भारी उत्पात मचाया था, इसीलिए अलाउद्दीन खिलजी को इतिहास में एक निरंकुश शासक के तौर पर याद किया जाता है. इन्हीं के शासन काल में कोहिनूर हीरे का भी ज़िक्र हुआ. इनकी सत्ता में ही कोहिनूर हीरा भारत की गोलकुंडा खान से निकाला गया था.
अभिनेता नसीरुद्दीन शाह जन्म दिन
20 जुलाई का दिन बॉलीवुड दर्शकों के लिए खास है, क्योंकि 20 जुलाई 1950 को ही बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का जन्म हुआ था. भारतीय सिनेमा का यह सुपरस्टार अब किसी तारूफ का मोहताज नहीं. इन्होंने अपने दमदार अभिनय का लोहा हर किसी को मनवाया, इसीलिए इनके लाखों फैंस इनकी फिल्मों व एक्टिंग के दीवाने हैं.
खैर, उत्तर प्रदेश के बाराबंकी शहर में जन्मे नसीरुद्दीन शाह एएमयू से स्नातक की डिग्री हासिल की. फिर इन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा का हिस्सा बने. भारतीय सिनेमा में उनका सफर फिल्म ‘निशांत' से शुरू हुआ.इसके बाद आकोश, मिर्च मसाला, कर्म, जलवा, सरफरोश, डर्टी पिक्चर, मासूम, कृष, इक़बाल और इश्किया आदि फिल्मों में अपने बेहतरीन अभिनय का जलवा बिखेरा.
इन्होंने कुछ फिल्मों में हीरो का किरदार निभाया तो कृष, और सरफरोश जैसी फिल्मों में विलेन का रोल भी अदा किया.दिलचस्प यह है कि नसीरुद्दीन ने दोनों किरदारों को बखूबी निभाया. भारतीय सिनेमा में इनके योगदान को देखते हुए कई बार फिल्म फेयर अवार्ड और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में बतौर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुने गए.
इसी के साथ ही पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे सम्मानों से भी नवाजा गया. आज भी वो भारतीय सिनेमा में अपना योगदान दे रहे हैं
भारत के 14 वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हुए निर्वाचित
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में जन्मे रामनाथ कोविंद भारत के 14 वें राष्ट्रपति के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. इनके राजनीतिक करियर की बात करें तो, इन्होंने आपातकाल के बाद मुख्य रूप से राजनीति में सक्रिय हुए.
फिर ये जनता पार्टी की सरकार में वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव बने और जनता पार्टी में अपना योगदान देते रहे.1991 में इन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दमन थामा, फिर दो बार 1994 और 2000 में उत्तर प्रदेश के राज्य सभा मेंबर के पद पर अपनी भूमिका निभाई. इसी के साथ ही समय समय पर बीजेपी के अन्य पदों पर कार्यरत रहे.
आगे इनका नाम देश के सर्वोच्च पदों में से एक राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार घोषित किया गया.बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक प्रेस कांफ्रेंस में उनकी उम्मीदवारी घोषित की थी और उन्होंने अपनी पार्टी को निम्न लोगों से जुड़े कोविंद के ‘दलित जाति’ होने का भी ज़िक्र किया था.
बहरहाल, बीजेपी द्वारा इनको राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया और 20 जुलाई 2017 को चुनाव का रिजल्ट आया. जिसमें रामनाथ कोविंद ने यूपीए की उम्मीदवार मीरा कुमार को हराया और राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए.आगे देश के 13 वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल समाप्त होने के बाद 25 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति के पद को सभांला.
क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त ने ले अंतिम साँस
20 जुलाई के दिन जहां भारत को एक महान कलाकार मिला, वहीं दूसरी तरफ 20 जुलाई को ही देश के वीर क्रांतिकारी बुटुकेश्वर दत्त ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
बटुकेश्वर दत्त 1900 के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों में से एक थे. इन्होंने देश की ख़ातिर भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चले.आज़ादी का दम भरते हुए हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का हिस्सा बन गए.
आगे इन्होंने भगत सिंह के साथ 1929 में केन्द्रीय विधान सभा में बम विस्फोट किया और भगत सिंह के साथ इंकलाब जिंदाबाद नारे की सदा लगाई. इस घटना के बाद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के साथ बटुकेश्वर दत्त को भी गिरफ्तार किया गया था.
जहां इन तीनों को फांसी की सजा सुनाई गई, वहीं इनको काला पानी की सजा दी गई थी. इसके बाद इन्हें अंडमान भेजा गया, फिर वहां से पटना जेल में शिफ्ट किया गया और 1938 में उनको रिहा कर दिया गया.
इस दौरान इन्हें टीबी जैसी भयानक बीमारी भी हो गई थी, लेकिन आज़ादी का यह सिपाही अभी भी देश के लिए न्योछावर होने को तैयार था. आगे इन्होंने गाँधी जी के सहयोग आंदोलन में कूद पड़े, जिसके कारण इन्हें दोबारा जेल में डाल दिया गया.जब भारत आज़ाद हुआ तो इनको रिहा कर दिया गया था, लेकिन कहा जाता है कि आज़ादी के बाद इनकी जिंदगी बड़ी तंगी में गुजरी. कुछ साल गुज़रा तो ये बीमारी में मुब्तिला रहने लगे.अंत में 20 जुलाई 1965 को दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में इनका निधन हो गया.
सिकंदर महान का जन्म दिन
कोई जीत छोटी नहीं होती लेकिन बात दुनिया जीतने की हो तो उसे बड़ी कहना जरूरी हो जाता है. शायद इसी सोच ने दुनिया जीतने वाले सिकंदर को आज तक बड़ा बनाए रखा है. ईसा पूर्व 356 में आज ही के दिन सिकंदर महान ने जन्म लिया.
प्राचीन ग्रीस के उत्तर में मौजूद मैसेडोनिया के इस राजा ने पेला में आंखें खोली और 16 साल की उम्र तक अरस्तू से ज्ञान अर्जित किया. अपना तीसवां जन्मदिन मनाने तक सिकंदर ने दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया था जिसका विस्तार भूमध्यसागर से लेकर हिमालय तक था. जंग के मैदान में सिकंदर अविजित रहे और इतिहास उन्हें सबसे सफल कमांडर मानता है.
सिकंदर ने अपने पिता फिलिप द्वीतीय की हत्या के बाद मैसेडोनिया की गद्दी संभाली थी और विरासत में उन्हें एक मजबूत साम्राज्य और अनुभवी सेना मिली थी. सिकंदर ने सेना के विस्तार की अपनी पिता की योजनाओं को आगे बढ़ाया. ईसा पूर्व 334 में सिकंदर ने पहला धावा बोला और फिर अगले 10 सालों तक चले विजय अभियान के पूरा होने तक उसकी सेना भारत तक जा पहुंची थी. आज भी दुनिया भर की सेनाएं सिकंदर की रणनीतियों और तौर तरीकों का इस्तेमाल करती हैं. महज 32 साल की उम्र में ही सिकंदर की बीमारी से मौत हो गई.
महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
1654 : आंग्ल-पुर्तगाल संधि के तहत पुर्तगाल इंग्लैंड के अधीन हुआ।
1810 : बोगोटा, न्यू ग्रेनेडा (अब कोलंबिया) के नागरिकों ने खुद को स्पेन से अलग कर स्वतंत्र घोषित किया।
1847 : जर्मनी के खगोलशास्त्री थियोडोर ने धूमकेतु ब्रोरसेन-मेटकॉफ की खोज की।
1903 : फोर्ड मोटर कंपनी ने अपनी पहली कार बाजार में उतारी।
1951 : जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला प्रथम यरुशलम में हमले में मारे गये।
1956 : फ्रांस ने ट्यूनीशिया को स्वतंत्र देश घोषित किया।
1969 : नील आर्मस्ट्रांग के रूप में मानव ने चंद्रमा की सतह पर पहला कदम रखा।
1997 : तीस्ता नदी जल बंटवारे पर भारत-बांग्लादेश में समझौता।
2002 : उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच विमान सेवा की शुरुआत।
2005 : कनाडा में समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी। वह ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बना।
2007 : पाकिस्तान के शीर्ष न्यायालय ने मुशर्रफ़ सरकार द्वारा बर्खास्त मुख्य न्यायाधीश इफ़्तिख़ार चौधरी की पद पर दोबारा बहाली का फैसला सुनाया।
कविताओं की ही पुस्तक क्यों
साहित्य की विधाओं में विशेष स्थान रखने वाले पद्य को आज भले ही पत्र—पत्रिकाओं में दोयम दर्जे का समझा जाता हो, या फिर उसे महज एक फीलर समझ लिया गया हो, किंतु उसकी एक—एक पंक्तियां और हर शब्द में सारगर्भित रहस्य छिपे होते हैं।