
सिनेमा के गुणों की खान थे गुरूदत्त
साल के सातवें महीने का नौवां दिन इतिहास के पन्नों में बहुत सी अच्छी बुरी घटनाओं के साथ दर्ज है। इनमें कुछ भारतीय सिनेमा से जुड़ी हैं। दरअसल 1925 में इसी दिन वसंतकुमार शिवशंकर पादुकोण उर्फ गुरुदत्त का जन्म हुआ था, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में अभिनय और निर्देशन दोनों क्षेत्रों में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
गुरुदत्त की प्रतिभा का अंदाजा लगाने के लिए यह तथ्य अपने आप में पर्याप्त है कि टाइम पत्रिका ने गुरूदत्त की फिल्मों प्यासा और कागज़ के फूल को दुनिया की सौ बेहतरीन फ़िल्मों में जगह दी थी। उनकी बेहतरीन फिल्मों में प्यासा और कागज़ के फूल के अलावा चौदहवीं का चांद तथा साहब बीबी और ग़ुलाम को भी रखा जाता है।
जब भी भारत में फिल्मों की बात आती है, तो गुरु दत्त का नाम आना लाज़मी है. इनके बिना तो मानो भारत की फिल्मी दुनिया अधूरी है. 9 जुलाई 1925 को जन्मे गुरु दत्त एक सफल एक्टर, डायरेक्टर और प्रोडूसर थे. उन्होंने फिल्मों को कुछ इस तरह से बनाया कि देखने वाले उनके दीवाने हो गए.
शायद इसलिए ही उन्हें इंडिया का Orson Welles कहा जाता था. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Orson Welles एक बहुत बड़े अमेरिकी डायरेक्टर और एक्टर थे.
अपने शुरूआती समय में गुरु दत्त एक टेलीफोन ऑपरेटर की नौकरी किया करते थे. हालांकि एक बार जैसे ही उन्हें फिल्मों का चस्का लगा उन्होंने वो काम छोड़ दिया. इसके बाद गुरु दत्त ने सिर्फ फिल्म बनाने पर अपना ध्यान दिया. उन्होंने प्यासा और कगाज़ के फूल जैसी कुछ बहुत ही बेहतरीन फिल्में बनाई हैं.
यह दोनों फिल्में टाइम पत्रिका की "All Time" 100 बेस्ट फिल्मों की सूची में शामिल हैं. आज न सिर्फ भारत बल्कि विदेशों में भी गुरु दत्त का नाम प्रसिद्ध है.
हिंदी सिनेमा में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाने वाले एक और समर्थ अभिनेता संजीव कुमार का जन्म भी नौ जुलाई को ही हुआ था। उनकी फिल्म शोले के ठाकुर की भूमिका को कभी नहीं भूला जा सकता है। संयोग से दोनों अदाकारों की अल्पायु में ही हो गई थी।
शुरू हुआ विंबलडन टूर्नामेंट
टेनिस खेलने और देखने वालों को जरूर पता है कि विंबलडन टूर्नामेंट कितना महत्वपूर्ण होता है. इससे पहले इंग्लैंड में लॉन टेनिस की कोई एक प्रतियोगिता नहीं की जाती थी.हालांकि विंबलडन की शुरुआत के बाद सब कुछ बदल गया. 9 जुलाई 1877 को विंबलडन टूर्नामेंट का सबसे पहला मैच खेला गया.
इस पहले टूर्नामेंट में 21 युवा लड़कों ने भाग लिया था. ये सभी इंग्लैंड के अलग-अलग इलाकों से यहाँ पर आए थे. ये टूर्नामेंट काफी सफल रहा था. अखबार में इसकी खबर आने के बाद पूरे इंग्लैंड देश से लोग इसे देखने आए थे. पहला टूर्नामेंट इतना सफल रहा इसलिए फिर इसे सालाना आयोजित करने का एलान कर दिया गया.
थोड़े ही टाइम बाद महिलाओं के बीच भी टेनिस की लोकप्रियता बढ़ने लगी. इसलिए 1884 में महिलाओं के लिए भी विंबलडन टूर्नामेंट आयोजित किया गया. उस दिन के बाद से विंबलडन एक विश्व प्रसिद्ध टूर्नामेंट बनकर सामने आया. आज दुनिया भर के बड़े-बड़े टेनिस खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में खेलते हैं. हर कोई चाहता है कि उसके हाथों में भी एक बार विंबलडन की चमचमाती ट्रॉफी हो. हालांकि बहुत कम लोगों को ही ये नसीब होती है.
सूडान दो हिस्से में बंट गया
आज का दिन दुनिया के सबसे युवा राष्ट्र के नाम है. नौ जुलाई 2011 को अफ्रीका का सूडान दो हिस्सों में बंट गया. दक्षिणी हिस्सा रिपब्लिक ऑफ साउथ सूडान बना.
कई देशों के बीच बसा दक्षिण सूडान मध्यपूर्व अफ्रीका का हिस्सा है और दुनिया का 193वां देश है. इसकी राजधानी जूबा है. इसके पूर्व में इथोपिया, दक्षिण पूर्व में केन्या और दक्षिण में यूगांडा है. दक्षिण पश्चिम में इसकी सीमा कांगो से, पश्चिम में सेंट्रल अफ्रीकी गणतंत्र और उत्तर में सूडान से लगी हुई है. 9 जुलाई 2011 को सूडान एक जनमत संग्रह के बाद अलग देश बनाया गया. 98.83 फीसदी लोगों ने अलग देश के समर्थन में वोट किया.
अनुमान के मुताबिक दक्षिण सूडान की जनसंख्या एक करोड़ 11 लाख के करीब है. देश का क्षेत्रफल 6,19,745 वर्ग किलोमीटर है. क्षेत्रफल के आधार पर दक्षिण सूडान स्पेन और पुर्तगाल के कुल आकार से बड़ा है. ईसाई बहुल आबादी वाले दक्षिण सूडान में चार भाषाएं लिखी और बोली जाती है. अधिकारिक भाषा अंग्रेजी है, लेकिन दिनका, नुएर, बारी, मुरले, जांडे यहां की राष्ट्रीय भाषाओं में शामिल हैं.
प्राकृतिक संसाधनों के मामले में दक्षिण सूडान धनी है. वहां कच्चे तेल का अपार भंडार है. लेकिन पाइपलाइनों के जरिए उत्तर सूडान से होकर तेल का निर्यात किया जाता है. अत्यधिक पिछड़े दक्षिण सूडान में आधारभूत संरचना न के बराबर है. देश में प्रसव के दौरान मृत्यु की दर बहुत ज्यादा है. शिक्षा की हालत इतनी खराब है कि 13 साल तक की उम्र के ज्यादातर बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. यहां के केवल 27 फीसदी वयस्क ही लिख पढ़ सकते हैं. साक्षरता दर के लिहाज से दक्षिण सूडान पूरे विश्व में सबसे पीछे है.
इतिहास में नौ जुलाई की तारीख पर कई महत्वपूर्ण घटनाएं दर्ज हैं।
1816: अर्जेंटिना ने स्पेन से स्वतंत्रता हासिल की।
1819: सिलाई मशीन के अविष्कारक एलायस हाउ का जन्म।
1875: बंबई स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना।
1925: भारतीय सिनेमा के सबसे सशक्त अभिनेताओं एवं बेहतरीन निदेशकों में शुमार गुरुदत्त का जन्म।
1938: अपने सशक्त अभिनय से हिंदी सिनेमा को समृद्ध बनाने वाले अभिनेता संजीव कुमार का जन्म।
1951: देश में पहली पंचवर्षीय योजना (1951-56) को प्रकाशित किया गया।
1969: वन्यजीव बोर्ड ने शेर को देश का राष्ट्रीय पशु घोषित किया। 1973 में शेर के स्थान पर बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया।
1973: ब्रिटेन के 300 साल पुराने उपनिवेश बहामास में ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त हुआ।
1982: तमाम सुरक्षा प्रणालियों को गच्चा देकर माइकल फागन नाम का एक शख्स ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ के शयनकक्ष तक पहुंच गया।
1991: दक्षिण अफ्रीका को ओलंपिक खेलों में दोबारा हिस्सा लेने की अनुमति मिली।
2002: 'आर्गेनाइजेशन आफ़ अफ़्रीकन यूनिटी' का नाम बदलकर 'अफ्रीकन यूनियन' किया गया।
2004: एशियाई विकास बैंक ने आतंकवाद से लड़ने हेतु अपने 42 सदस्य देशों के लिए कोष बनाया।
2011: सूडान एक जनमत संग्रह के बाद अलग देश बन गया, 98.83 फीसदी लोगों ने अलग देश के समर्थन में वोट किया।