इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 जून के दिन देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनाव में सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल का दोषी ठहराते हुए उनके निर्वाचन को अमान्य करार दिया।
जब हाईकोर्ट ने लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी
की जीत को अवैध बताया
आज ही के दिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनावी भ्रष्टाचार का दोषी पाया था. अदालत ने इंदिरा गांधी पर छह साल के लिए चुनाव लड़ने की रोक लगाई थी. इंदिरा ने अदालत के आदेश की अनदेखी की थी.12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लोकसभा चुनाव में जीत को अवैध करार दिया. गांधी पर चुनावी धांधली के आरोप लगे. अदालत ने उन्हें कुर्सी छोड़ने का आदेश दिया और उन पर छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई. लेकिन इंदिरा ने अदालती आदेश की अनदेखी की. 1971 के चुनाव में मिली हार के बाद विपक्ष के नेता राज नारायण ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. अदालत ने याचिका दाखिल होने के चार साल बाद अपना फैसला सुनाया.
सुनवाई के दौरान इंदिरा ने अपने बचाव में कई दलीलें दीं. अदालत ने उन्हें अपने चुनाव में अनुमति से अधिक खर्च और राजनीतिक कामों में सरकारी अमले और संसाधनों के दुरुपयोग का दोषी करार दिया. हालांकि जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा पर लगाए रिश्वत देने के आरोप को खारिज कर दिया. इंदिरा गांधी ने हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी. साथ ही उन्होंने कहा था कि सभी पार्टियां ऐसा करती हैं. इंदिरा गांधी के इस रवैये के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो गया और सरकार के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया. इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री के आदेश पर हजारों लोग गिरफ्तार किए गए. मीडिया को भी सेंसर किया गया.
इंदिरा गांधी ने इन विरोध प्रदर्शनों को कुचलने के लिए देश में 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा कर दी. आपातकाल करीब 21 महीने चला. जिसके बाद 1977 के चुनाव में इंदिरा गांधी की जबरदस्त हार हुई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में पहली बार गैरकांग्रेसी सरकार बनी.
किशोरी की डायरी में नाजियों के जुल्म की दास्तान
"क्या कोई भी, यहूदी या गैर यहूदी, कभी यह बात समझेगा कि मैं एक लड़की हूं जो सिर्फ जिंदगी को जिंदादिली से जीना चाहती है?" ऐसे भावों से भरी ऐन फ्रैंक की मशहूर डायरी उसके 13वें जन्मदिन पर 1942 में आज ही के दिन मिली थी.
इस डायरी को ऐन फ्रैंक ने तब लिखा था जब उनका परिवार एम्सटरडैम में नाजियों से छिप कर रह रहा था. 60 से ज्यादा भाषाओं में छपने वाली आने फ्रैंक की डायरी दुनिया की कुछ सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में से एक है. इस डायरी में उन्होंने उन दिनों के बारे में लिखा है जब द्वितीय विश्व युद्द के दौरान उनके परिवार को उनके पिता के ऑफिस के ऊपरी हिस्से में नाजियों से छिप कर दो साल तक रहना पड़ा. फ्रैंक की इस डायरी पर कई नाटक और फिल्में भी बनाई जा चुकी हैं. दुनिया की कुछ सबसे चर्चित किताबों में से एक ऐन फ्रैंक की डायरी इस छोटी लड़की और उसके अनुभवों की कहानी सुनाती है.
ऐन फ्रैंक का जन्म फ्रैंकफर्ट में हुआ था. लेकिन 1933 में नाजियों के जर्मनी पर कब्जा कर लेने पर उनका परिवार नीदरलैंड के शहर एम्सटरडैम चला गया. 1942 में वहां भी नाजियों का प्रभाव बढ़ने पर जान बचाने के लिए तक उनका परिवार तहखाने में छिप कर रहने लगा, जहां कुछ दोस्तों के जरिए उन्हें खाने
पीने और जरूरी चीजों की मदद मिलती थी. लेकिन यह राज बहुत देर छुप नहीं सका और वे ढूंढ लिए गए. यहां से उन्हें आउश्विट्ज यातना शिविर भेज दिया गया. 1945 में आने और उनकी बहन मार्गोट की यातना शिविर में ही मौत हो गई.
युद्ध खत्म होने पर परिवार के इकलौते जीवित सदस्य आने फ्रांक के पिता ओटो फ्रैंक को एम्सटरडैम लौटने पर आने की डायरी मिली. 1947 में उनकी कोशिशों से उसकी पहली प्रति डच भाषा में छपी. इस डायरी में 1942 से 1944 तक के ऐन फ्रैंक के जीवन की कहानी है. उनके घर को ऐन फ्रैंक म्यूजिम में बदल दिया गया है. एम्सटरडैम जाने वाले अक्सर ऐन फ्रैंक म्यूजियम में जाकर उन दिनों के दर्द को महसूस करते हैं.
1964: नेल्सन मंडेला को उम्र क़ैद
अंतरराष्ट्रीय दृष्टि से देखें तो 12 जून के दिन ही अफ्रीका में रंग भेद के ख़िलाफ़ आंदोलन करने वाले नेता और बाद में वहाँ के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बनने वाले नेल्सन मंडेला को सरकार के ख़िलाफ़ साज़िश के लिए उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी.उनके साथ अफ़्रीकी नेशनल कांग्रेस के सात दूसरे नेताओं को भी उम्र क़ैद दी गई थी. इसमें पार्टी के प्रतिबधित संगठन के महासचिव वॉल्टर सिसुलू भी शामिल थे.
नेलसन मंडेला महात्मा गांधी से प्रेरित थे.रिवोना ट्रायल नाम से जाने वाले इस मुक़दमे के सभी आरोपियों ने अपना दोष क़बूल किया था.
अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस देश में अश्वेतों के ख़िलाफ़ जारी रंगभेद की नीति की समाप्ति के लिए आंदोलन कर रही थी.नेल्सन मंडेला के दल पर देश में मौजूद गोरों की सरकार ने 1960 में प्रतिबंध लगा दिया था.
1962: अमरीकी जेल से तीन क़ैदी भागे
अमरीका के तीन कैदी अमरीका की कड़ी सुरक्षा वाले जेल एलकटराज़ से भाग गए.सैन फ्रांसिस्को की खाड़ी में स्थित एक द्वीप पर बने इस जेल को कड़ी सुरक्षा की वजह से ही ' रॉक' के नाम से जाना जाता है.इसे किसी क़ैदी के भागने के लिए नामुमकिन समझा जाता था. लेकिन इन तीन क़ैदियों ने खाने के चम्मचों को धारदार बनाकर उनके सहारे अपनी काल कोठरी की दीवार में रास्ता बनाया, और लकड़ी के पट्टों को मिलकर बनाई गई नौका से वहाँ से रफूचक्कर हो गए.
अमरीका के कई ख़तरनाक क़ैदियों, जैसे माफ़िया सरग़ना अल कपोन और जार्ज ' मशीन गन' केली को इसी जेल में क़ैद रखा गया था.
इतिहास में 12 जून की तारीख पर दर्ज अन्य प्रमुख घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है...
अन्य घटनाएं
1929: दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाजियों के जुल्म का शिकार बनी यहूदी लड़की एनी फ्रेंक का जन्म। नाजियों की कैद के दौरान लिखी गई एनी की डायरी को बाद में किताब के रूप में छापा गया।
1962: अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को की खाड़ी में स्थित कड़ी सुरक्षा वाले कारागार एलकटराज से तीन क़ैदी भाग निकले। इस जेल को सुरक्षा के हिसाब से अकाट्य माना जाता था और यहां सबसे गंभीर अपराधों वाले कैदियों को रखा जाता था।
1964: अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करने वाले अश्वेत नेता नेल्सन मंडेला को सरकार के खिलाफ साजिश का दोषी ठहराते हुए उम्र क़ैद की सजा।
1972: महात्मा गांधी के जीवन पर आठ खंड का ग्रंथ लिखने वाले डी.जी. तेंदुलकर का निधन
1975: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनाव में सरकारी मशीनरी के गलत इस्तेमाल का दोषी पाया और उनके निर्वाचन को अमान्य करार दिया।
1998: भारत और पाकिस्तान को परमाणु परीक्षण के कारण जी-8 के देशों द्वारा ऋण नहीं देने का निर्णय।
1999: पाकिस्तानी रक्षा बजट में लगभग 11 प्रतिशत की वृद्धि।
2001: सीमा मुद्दे पर भारत-बांग्लादेश वार्ता शुरू।
2002: बालश्रम निषेध दिवस की शुरुआत। इस दिवस का मकसद लोगों में बालश्रम को लेकर जागरुकता फैलाना था।
2007: ऑस्ट्रेलिया के स्कूलों में सिख छात्रों को धार्मिक प्रतीक कृपाण रखने की इजाजत मिली।