
जानलेवा रोग से लेकर महासगर तक की चिंता
साल के छठे महीने में आठवां दिन 8 जून देश—विदेश की कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। इस दिन दो मुद्दों को लेकर विश्व दिवस मनाया जाता है। एक सेहत से जुड़ा विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस है, जबकि दूसरा प्रकृति और प्राकृतिक संपदा की सुरक्षा का विश्व महासागरीय दिवस है। पहले बात विश्व ब्रेन ट्यूमर की करते हैं।
विश्व ब्रेन ट्यूमर 2021 के इतिहास, महत्व, उद्देश्य एवं अन्य बातें
8 मई को पूरा विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाता है। ब्रेन ट्यूमर जैसी समस्या दिन-ब-दिन विश्व में बढ़ती ही जा रही है। ऐसे लोग जो रेडिएशन के संपर्क में अधिक रहते हैं और धूमपान अधिक करते हैं, ऐसे लोगों को ब्रेन ट्यूमर का बहुत ज्यादा खतरा होता है, इन्हीं लोगों को सचेत करने के लिए इस दिन का आयोजन किया जाता है। पिछले वर्ष भी कोरोना महामारी के कारण इस दिन को ऑनलाइन ही मनाया गया अर्थात ऑनलाइन ही कार्यक्रम किए गए। इस वर्ष भी ऐसे ही इसका आयोजन होगा। पहले विभिन्न देशों में कैंप लगाकर, रैलियां निकालकर लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जाता था, जो लोग इस बीमारी से जूझ रहे होते हैं और इलाज कराने में असक्षम होते हैं उनकी सहायता की जाती है। ब्रेन ट्यूमर अनुवांशिक भी हो सकता है इसलिए इसके प्रति समय रहते सावधान हो जाना बहुत जरूरी है। अगली स्लाइड्स से जानिए ब्रेन ट्यूमर और विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।
ब्रेन ट्यूमर क्या है?

हमारे मस्तिष्क में अचानक ही असामान्य कोशिकाओं का बढ़ना ब्रेन ट्यूमर कहलता है। ब्रेन ट्यूमर कई प्रकार के होते हैं। कुछ ब्रेन ट्यूमर कैंसर के साथ होते हैं, जो कि बहुत खतरनाक होते हैं और कुछ साधारण होते हैं। ब्रेन ट्यूमर की शुरुआत मस्तिष्क से शुरू होता है, वहीं कैंसर शरीर के अन्य भागों से शुरू होते हुए हमारे दिमाग तक फैल सकता है। सही समय पर इसकी जानकारी होना बहुत आवश्यक है।
इतिहास
पिछले 20 सालों से पूरी दुनिया में जून माह की 8 तारीख को विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को पहली बार जर्मनी में जर्मन ब्रेन ट्यूमर एसोसिएशन (ड्यूश हिरनटूमोरहिल्फ़ ई.वी.) द्वारा आयोजित किया गया था। यह संगठन लोगों को ब्रेन ट्यूमर के बारे में जागरूक और शिक्षित करता है। कैंसरयुक्त ब्रेन ट्यूमर जर्मनी में बहुत आम है। केवल जर्मनी में ही 8,000 से अधिक लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। भारत में भी ब्रेन ट्यूमर बढ़ता जा रहा है।
उद्देश्य
इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों में ब्रेन ट्यूमर के प्रति जागरूकता फैलाना है। ब्रेन ट्यूमर की घातक स्थिति की जानकारी लोगों तक पहुंचाना है जो कि आगे चलकरअक्सर मस्तिष्क कैंसर का कारण बनती है। यह महत्वपूर्ण है कि अधिक से अधिक लोग बीमारी के लक्षणों, उपचार और तथ्यों के बारे में जानें तभी वे इस रोग से बच सकते हैं नहीं तो दिन-ब-दिन यह रोग और भी गंभीर होता जाता है और मनुष्य की जान तक बचाना तक मुश्किल हो जाता है।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण वैसे तो हर पीड़ित के शरीर में एक से दिखाई दें, ये तो कोई जरूरी बात नहीं है लेकिन ब्रेन ट्यूमर होने पर आम लक्षण जो शरीर में दिखाई देते हैं उनमें धीरे- धीरे सिरदर्द का बढ़ना, घबराहट या उल्टी, धुंधली दृष्टि, दोहरी दृष्टि या दृष्टि की हानि, रोजमर्रा के मामलों में उलझन, व्यवहार में बदलाव, बोलने और सुनने में कठिनाई आदि लक्षण आम हैं।
क्यों मनाया जाता है विश्व महासागर दिवस?
हम समुद्र का जितना दोहन कर सकते हैं, उससे कहीं अधिक कर रहे हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि विश्व महासागर दिवस क्या है और का इसके इतिहास के साथ—साथ उद्देश्य क्या हैं? और इस साल की थीम क्या है?
महासागर पृथ्वी की सतह का लगभग 71 प्रतिशत भाग कवर करता है. समुद्र के इस खारे पानी में पौधों, जानवरों और अन्य जीवों सहित विशाल जीवन है. महासागरीय क्षेत्र पृथ्वी की सतह पर कई घाटियों को भरते हैं. साइंटिस्ट और ज्योग्राफर इसे विभिन्न वर्गों में विभाजित करते हैं.
यह पूरे ग्रह को गर्मी ले जाने वाली महासागरीय धाराओं के साथ ग्रह की 50 प्रतिशत ऑक्सीजन प्रदान करके ग्रह को गर्म रखता है, इसलिए महासागरों की भूमिका का जश्न मनाने के लिए, संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय कानून 8 जून को विश्व महासागर दिवस के रूप में मनाते हैं.
उद्देश्य मानव जीवन में समुद्र से होने वाले लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करना है. चूंकि समुद्र विभिन्न प्रकार के जीवन रक्षक और कैंसर-रोधी दवाएं प्रदान करता है, तो, अब हमारी बारी है सतत विकास के लिए समुद्र और समुद्री संसाधनों के संरक्षण की. यह दिन मानवता के लिए महासागर का जश्न मनाने का दिन है.
इस साल की थीम
इस साल का मुख्य फोकस समुद्र के जीवन और आजीविका पर होगा, विश्व महासागर दिवस 2021 की थीम "द ओशन: लाइफ एंड लाइवलीहुड" है.चूंकि महासागर पृथ्वी की अधिकांश जैव विविधता का घर है, यह दुनिया भर के अरबों से अधिक लोगों के लिए प्रोटीन का मुख्य स्रोत प्रदान करता है. महासागर हमारी अर्थव्यवस्था की कुंजी है, 2030 तक समुद्र आधारित उद्योगों द्वारा अनुमानित 40 मिलियन लोगों को रोजगार दिया जा रहा है.
आपको बता दें, 90% बड़ी मछलियों की आबादी के विलुप्त होने और 50% Coral reef (प्रवाल शैल-श्रेणी)के नष्ट होने के साथ, हम समुद्र का जितना दोहन कर सकते हैं, उससे कहीं अधिक कर रहे हैं.ऐसे में महासागर की रक्षा और संरक्षण के लिए और जो कुछ भी वह बनाए रखता है, हमें एक नया संतुलन बनाना चाहिए. आज हम सभी देश के सरकारों को समुद्र के साथ एक ऐसा संबंध बनाना जरूरी है जो महासागर और उसके अंदर के जीवन के लिए उपयोगी हो.
इतिहास
विश्व महासागर दिवस की अवधारणा पहली बार 1992 में रियो डी जनेरियो में पृथ्वी शिखर सम्मेलन में प्रस्तावित की गई थी. यह विचार दुनिया के साझा महासागर और मनुष्यों के समुद्र से व्यक्तिगत संबंध का जश्न मनाने के लिए उभरा.हमारे जीवन में समुद्र द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका और लोगों द्वारा इसे बचाने में मदद करने के महत्वपूर्ण तरीकों के बारे में जागरूकता बढ़ाई.वर्तमान में, महासागर मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रभाग और समुद्र का कानून विश्व महासागर दिवस के लिए विभिन्न गतिविधियों का सक्रिय रूप से समन्वय कर रहा है.
रंगमंच को रूला गया हबीब तनवीर का जाना
मशहूर नाटककार, निर्देशक, कवि और अदाकार हबीब तनवीर आज ही के दिन दुनिया के रंगमंच से विदा हुए थे। तनवीर के मशहूर नाटकों में आगरा बाजार और चरणदास चोर शामिल हैं।
दुनिया एक रंगमंच है और यहां हर कोई अपनी भूमिका निभाने आया है। बहुत से लोग अपनी भूमिका अच्छे से निभा पाते हैं और उनका नाम इतिहास में दर्ज हो जाता है। इस रंगमंच के ऐसे ही एक फनकार थे हबीब तनवीर। मशहूर नाटककार, निर्देशक, कवि और अदाकार हबीब तनवीर आज ही के दिन दुनिया के रंगमंच से विदा हुए थे। तनवीर के मशहूर नाटकों में आगरा बाजार और चरणदास चोर शामिल हैं। हबीब तनवीर ने 50 वर्ष की अपनी लंबी रंग यात्रा में 100 से अधिक नाटकों का मंचन किया। शतरंज के मोहरे, लाला शोहरत राय, मिट्टी की गाड़ी, गांव का नाम ससुराल मोर नाम दामाद, पोंगा पंडित, द ब्रोकन ब्रिज, जहरीली हवा और राज रक्त उनके मशहूरों नाटकों में शुमार हैं। लंबी बीमारी के बाद उन्होंने 2009 में आज ही के दिन भोपाल में 85 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा।
1982 : अर्जेंटीना की सेना के हमले में 50 ब्रितानी नाविक मरे
इस युद्ध में अर्जेंटीना ने आखिरकार ब्रितानी सेनाओं के सामने 14 जून को आत्मसमर्पण कर दिया.आज ही के दिन अर्जेंटीना ने फॉकलैंड युद्ध के दौरान दो ब्रितानी रसद के जहाजों के ऊपर हमला किया था. अचानक किए गए इस हमले में ब्रितानी सैनिकों को सँभलने का ज़रा भी समय नहीं मिल पाया.सर गालाहैड और सर ट्रिसट्राम नाम के ये दो जहाज़ दरअसल युद्ध के दौरान वहां फॉकलैंड द्वीप पर सैनिकों को पहुंचा रहे थे. पास ही रसद पहुंचा रहे हैलीकॉप्टरों को तत्काल बचाव कार्य में लगाया गया.इस युद्ध में अर्जेंटीना ने आख़िरकार ब्रितानी सेनाओं के सामने 14 जून को आत्मसमर्पण कर दिया.
1978 : महिला ने नौकाचालन का रिकॉर्ड बनाया.
जून आठ के ही दिन नओमी जेम्स ने अकेले दुनिया का चक्कर लगा कर नौकायन का विश्व रिकॉर्ड बनाया. 29 साल की जेम्स ने क़रीब43 हज़ार 452 किलोमीटर की दूरी तय की.उनकी 53 फ़ुट लंबी नाव ने समुद्र में क़रीब नौ महीने बिताए.कुल मिला कर जेम्स ने 272 दिनों में ये कीर्तिमान बनाया. यात्रा के अंतिम हफ़्तों में दुनिया से उनका संपर्क सीमित हो गया था क्योकि उनकी नाव पर लगा रेडियो टूट गया था.यात्रा के दौरान एक मर्तबा उनकी नाव का मुख्य मस्तूल भी टूट गया.फ़रवरी 2001 में ब्रिटेन की एलेन मैकार्थर दुनिया के सबसे तेज़ महिला नौकाचालक होने का कीर्तिमान अपने नाम कर लिया था.
उन्होंने 94 दिनों में ही दुनिया का चक्कर लगा लिया था. चार साल बाद 2005 में एलेन ने दुनिया का चक्कर महज़ 71 और 14 घंटे में लगा लिया.
देश और दुनिया की अन्य घटनाएं
1658: औरंगजेब ने आगरा के क़िले पर क़ब्ज़ा किया और शाहजहां को कैद कर लिया गया।
1936: भारत की सरकारी रेडियो सेवा इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस का नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया गया।
1948: देश की सरकारी विमान सेवा एयर इंडिया ने भारत और ब्रिटेन के बीच हवाई सेवा शुरू की। इस सेवा की यह पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान थी।
1955: अपने किस्म के पहले मुकदमे में ब्रिटेन में एक पुरुष को दूसरे पुरुष के साथ बलात्कार की कोशिश के मामले में सजा सुनाई गई।
1983: मार्गरेट थैचर के नेतृत्व में कंज़र्वेटिव पार्टी ने ब्रिटेन के आम चुनाव में विपक्षी लेबर पार्टी की 209 सीटों के मुक़ाबले 397 सीटें ले कर दूसरी बार बहुमत हासिल किया।
2002: आतंकवादी संगठन अबू सय्याफ़ के विरुद्ध फिलिपीन के राष्ट्रपति ने अभियान शुरू करने का आदेश दिया।
2004: भारत सहित दुनिया के कई देशों में 122 वर्ष के बाद शुक्र पारगमन का अद्भुत नज़ारा फिर देखा गया।
2009: मशहूर पटकथा लेखक, नाट्य निर्देशक, कवि और अभिनेता हबीब तनवीर का निधन।