
दो फैसले: सभी को मुफ्त टीका,
गरीबों को नवंबर तक फ्री अनाज
प्रधानमंत्री ने विश्व फूड सुरक्ष दिवस सात जून के मौके पर जहां गरीबों को नवंबर माह तक मुफ्त में हर महीने तय मात्रा में अनाज देने की घोषणा की, वहीं 21 जून से देश के सभी नागरिकों को मुफ्त में कोरोना वैक्सीन लगाने का एलान किया। कोरोना काल में एक बार फिर देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के लिए दो अहम घोषणाएं की हैं। ये घोषणाएं कोरोना के खिलाफ चल रहे युद्ध के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री ने पहली घोषणा की कि 21 जून से 18 वर्ष से ऊपर की आयु के देश के सभी नागरिकों को वैक्सीन मुफ्त लगेगी। केंद्र सरकार, प्रत्येक राज्य इसके लिए मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी। वैक्सीन निर्माताओं से कुल वैक्सीन उत्पादन का 75 प्रतिशत हिस्सा भारत सरकार खुद खरीदेगी और फिर इसे राज्य सरकारों को मुफ्त देगी। दूसरी महत्पूर्ण घोषणा 'प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना' को अब दीपावली तक आगे बढ़ाने की हुई है। मतलब नवंबर-2021 तक केंद्र सरकार 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को, हर महीने तय मात्रा में मुफ्त अनाज उपलब्ध कराएगी।
पीएम मोदी ने कहा, कोरेाना की दूसरी लहर की लड़ाई जारी है। अन्य देशों की तरह भारत इस पीड़ा से गुजरा है। कई लोगों ने अपने परिजनों को खोया है। बीते सौ वर्षों में आई ये सबसे बड़ी महामारी है, त्रासदी है। इस तरह की महामारी आधुनिक विश्व ने न देखी थी, न अनुभव की थी। इतनी बड़ी वैश्विक महामारी से हमारा देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि सेकेंड वेव के दौरान अप्रैल और मई के महीने में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई थी। भारत के इतिहास में कभी भी इतनी मात्रा में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया गया। सरकार के सभी तंत्र लगे।
उन्होंने कहा, आज पूरे विश्व में वैक्सीन के लिए जो मांग है, उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां बहुत कम हैं। कल्पना करिए कि अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो आज भारत जैसे विशाल देश में क्या होता? पीएम मोदी ने कहा, हर आशंका को दरकिनार करके भारत ने 1 साल के भीतर ही एक नहीं बल्कि दो मेड इन इंडिया वैक्सीन्स लॉन्च कर दी। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश ने, वैज्ञानिकों ने ये दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों से पीछे नही है। आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो देश में 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है।
उन्होंने कहा पिछले काफी समय से देश लगातार जो प्रयास और परिश्रम कर रहा है, उससे आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई और भी ज्यादा बढ़ने वाली है। आज देश में 7 कंपनियाँ, विभिन्न प्रकार की वैक्सीन्स का प्रॉडक्शन कर रही हैं। तीन और वैक्सीन्स का ट्रायल भी एडवांस स्टेज में चल रहा है।
पीएम मोदी ने कहा, देश में कम होते कोरोना के मामलों के बीच, केंद्र सरकार के सामने अलग-अलग सुझाव भी आने लगे, भिन्न-भिन्न मांगे होने लगीं। पूछा जाने लगा, सब कुछ भारत सरकार ही क्यों तय कर रही है? राज्य सरकारों को छूट क्यों नहीं दी जा रही? दूसरी तरफ किसी ने कहा कि उम्र की सीमा आखिर केंद्र सरकार ही क्यों तय करे? कुछ आवाजें तो ऐसी भी उठीं कि बुजुर्गों का वैक्सीनेशन पहले क्यों हो रहा है? भांति-भांति के दबाव भी बनाए गए, देश के मीडिया के एक वर्ग ने इसे कैंपेन के रूप में भी चलाया। इस बीच, कई राज्य सरकारों ने फिर कहा कि वैक्सीन का काम डी-सेंट्रलाइज किया जाए और राज्यों पर छोड़ दिया जाए। तरह-तरह के स्वर उठे। जैसे कि वैक्सीनेशन के लिए एज ग्रुप क्यों बनाए गए?
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल 16 जनवरी से शुरू होकर अप्रैल महीने के अंत तक, भारत का वैक्सीनेशन कार्यक्रम मुख्यत: केंद्र सरकार की देखरेख में ही चला। सभी को मुफ्त वैक्सीन लगाने के मार्ग पर देश आगे बढ़ रहा था। देश के नागरिक भी, अनुशासन का पालन करते हुए, अपनी बारी आने पर वैक्सीन लगवा रहे थे। आज ये निर्णय़ लिया गया है कि राज्यों के पास वैक्सीनेशन से जुड़ा जो 25 प्रतिशत काम था, उसकी जिम्मेदारी भी भारत सरकार उठाएगी। ये व्यवस्था आने वाले 2 सप्ताह में लागू की जाएगी। इन दो सप्ताह में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर नई गाइडलाइंस के अनुसार आवश्यक तैयारी कर लेंगी।
निजी अस्पतालों में 150 रुपये से ज्यादा नहीं होगा सरचार्ज
पीएम मोदी ने कहा कि जो लोग पैसे देखकर वैक्सीन लगवाना चाहते हैं वो लोग ऐसा कर सकते हैं। निजी अस्पतालों में पैसे देकर वैक्सीनेशन भी जारी रहेगा लेकिन इस दौरान अस्पतालों में सरचार्ज 150 रुपये से ज्यादा नहीं होगा। वैक्सीन निर्माताओं से कुल वैक्सीन उत्पादन का 75 प्रतिशत हिस्सा भारत सरकार खुद ही खरीदकर राज्य सरकारों को मुफ्त देगी।
पीएम मोदी ने राज्यों को आईना दिखाते हुए कहा कि देश में सवाल उठ रहे थे कि वैक्सीनेशन के लिए ऐज ग्रुप क्यों बनाए गए, उम्र की सीमा केंद्र क्यों तय कर रहा है. देश के मीडिया के एक वर्ग ने इसे कैंपेन के रूप में भी चलाया गया। इसके बाद चर्चा की गई और राज्यों की मांग को देखते हुए इस साल 16 जनवरी से चली आ रही व्यवस्था में बदलाव किया गया।
पीएम मोदी ने कहा कि हमने टीकाकरण का 25 प्रतिशत काम राज्यों को सौंप दिया। एक मई से राज्यों को काम 25 प्रतिशत सौंप दिए गए। राज्यों ने भी प्रयास भी किया। ऐसे में उन्हें इस काम की कठिनाई का पता चला कि वैक्सीन की विश्व में क्या स्थिति है, इससे राज्य भी परिचित हुए। इसके बाद कई राज्यों ने कहा कि पहले जैसी ही व्यवस्था लागू होनी चाहिए।